प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड: कितनी बार और कब करवाना चाहिए? (Ultrasound in pregnancy)

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परिचय

गर्भावस्था एक विशेष और संवेदनशील समय होता है, जिसमें मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान, अल्ट्रासाउंड टेस्ट मां और गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति और विकास की निगरानी करने में अहम भूमिका निभाता है। अल्ट्रासाउंड टेस्ट के माध्यम से हम गर्भनाल की स्थिति, शिशु का विकास, दिल की धड़कन और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को देख सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी में कितनी बार और कब अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए।
अल्ट्रासाउंड एक चिकित्सा तकनीक है जिसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग करके शरीर के भीतर की तस्वीरें बनाई जाती हैं। यह गर्भवती महिलाओं में गर्भ और गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति और विकास की जांच करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अल्ट्रासाउंड नॉन-इनवेसिव होता है, जिसका मतलब है कि इसमें शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की सर्जरी या कटाई-छटाई की आवश्यकता नहीं होती।

प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड के लिए कितना पानी पीना चाहिए? How much water should one drink for ultrasound during pregnancy?

पानी पीना: अल्ट्रासाउंड से पहले अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है, खासकर शुरुआती तिमाही के दौरान। इससे आपका मूत्राशय भर जाता है, जिससे डॉक्टर को गर्भाशय और गर्भस्थ शिशु की स्पष्ट छवियां मिलती हैं। आमतौर पर, अल्ट्रासाउंड से लगभग एक घंटे पहले एक लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है।

  1. शिशु का विकास देखना: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु के विकास की जांच की जाती है। इससे यह पता चलता है कि शिशु का वजन, लंबाई, और आकार सही तरीके से बढ़ रहा है या नहीं।
  2. शिशु की स्थिति जानना: गर्भ में शिशु की स्थिति का पता लगाने में अल्ट्रासाउंड मदद करता है। इससे यह पता चलता है कि शिशु का सिर नीचे है या ऊपर।
  3. गर्भनाल की स्थिति देखना: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भनाल की स्थिति और उसकी सेहत की जांच की जाती है।
  4. दिल की धड़कन सुनना: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु की दिल की धड़कन सुनी जा सकती है, जिससे यह पता चलता है कि उसका दिल सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं।
  5. जन्म दोषों की जांच: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु में किसी भी प्रकार के जन्म दोषों की जांच की जा सकती है।

प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड कितनी बार करवाना चाहिए? How often should ultrasound be done during pregnancy?

गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर 3-4 अल्ट्रासाउंड करवाना आवश्यक होता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह संख्या बढ़ भी सकती है। आइए जानें कि प्रेगनेंसी के किस-किस समय पर अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए:
  1. पहला अल्ट्रासाउंड: डेटिंग स्कैन (6-10 सप्ताह):

    • क्यों: प्रारंभिक गर्भावस्था या डेटिंग स्कैन यह निर्धारित करने में मदद करता है कि आप अपनी गर्भावस्था में कितनी दूर हैं और आपके बच्चे की दिल की धड़कन को सुना जा सकता है।

    • समय: 6 से 10 सप्ताह

    • महत्व: इस स्कैन के माध्यम से आप पहली बार अपने छोटे से भ्रूण को स्क्रीन पर देख सकते हैं और उसकी दिल की धड़कन को सुन सकते हैं।

    • अनुभव: माता-पिता के लिए यह एक अद्भुत अनुभव होता है क्योंकि वे पहली बार भ्रूण को देख सकते हैं और उसकी धड़कन सुन सकते हैं।

  2. दूसरा अल्ट्रासाउंड: न्यूकल ट्रांसलूसेंसी स्कैन (11-14 सप्ताह):

    • क्यों: न्यूकल ट्रांसलूसेंसी स्कैन के माध्यम से आपके बच्चे में क्रोमोसोमल असामान्यताओं, विशेष रूप से डाउन सिंड्रोम के जोखिम का आकलन किया जाता है।

    • समय: 11 से 14 सप्ताह

    • महत्व: इस स्कैन के दौरान, आपके बच्चे की गर्दन के पीछे तरल पदार्थ की मोटाई मापी जाती है, जिससे आनुवंशिक स्थितियों की अधिक संभावना का संकेत मिल सकता है।

    • सावधानी: यह स्कैन सटीक निदान नहीं कर सकता, केवल जोखिम का अंदाजा लगाता है।

  3. तीसरा अल्ट्रासाउंड: एनॉमली स्कैन (14-22 सप्ताह) :

    • क्यों: एनॉमली स्कैन आपके बच्चे के विकास के साथ किसी भी संभावित समस्या की जांच करता है, जैसे कि मस्तिष्क असामान्यताएं, हृदय दोष, या उनके अंगों की समस्याएं।

    • समय: 14 से 22 सप्ताह

    • महत्व: इस स्कैन के माध्यम से आप अपने बच्चे को हिलते हुए देख सकते हैं और उसके अंगों के विकास की जांच कर सकते हैं।

    • प्रकार: अर्ली एनॉमली स्कैन (14-18 सप्ताह) और फेटल एनॉमली स्कैन (18-22 सप्ताह)।

  4. चौथा अल्ट्रासाउंड: ग्रोथ स्कैन एंड फेटल वेलबीइंग (24-42 सप्ताह) :

    • क्यों: ग्रोथ स्कैन या भ्रूण कल्याण स्कैन आपके बच्चे के विकास की निगरानी करने के लिए किया जाता है।

    • समय: 24 से 42 सप्ताह

    • महत्व: इस स्कैन के दौरान बच्चे का विकास ट्रैक किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल रहे हैं।

    • अनुभव: इस स्कैन के दौरान बच्चे की सुंदर तस्वीरें भी मिल सकती हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड आमतौर पर निम्नलिखित समय पर करवाना चाहिए: 1. पहला अल्ट्रासाउंड: गर्भावस्था के 6 से 10 हफ्तों के बीच 2.    दूसरा अल्ट्रासाउंड: 11 से 14 हफ्तों के बीच 3.    तीसरा अल्ट्रासाउंड: गर्भावस्था के 18 से 22 हफ्तों के बीच 4.    चौथा अल्ट्रासाउंड: 24 से 42 हफ्तों के बीच

अल्ट्रासाउंड के फायदे Benefits of ultrasound

  1. शिशु के विकास की जांच: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु के विकास की जांच की जाती है।
  2. शिशु की स्थिति जानना: गर्भ में शिशु की स्थिति का पता लगाने में अल्ट्रासाउंड मदद करता है।
  3. गर्भनाल की स्थिति देखना: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भनाल की स्थिति और उसकी सेहत की जांच की जाती है।
  4. दिल की धड़कन सुनना: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु की दिल की धड़कन सुनी जा सकती है।
  5. जन्म दोषों की जांच: अल्ट्रासाउंड के माध्यम से शिशु में किसी भी प्रकार के जन्म दोषों की जांच की जा सकती है।

अल्ट्रासाउंड के नुकसान Disadvantages of ultrasound

  1. बार-बार अल्ट्रासाउंड के जोखिम: बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने से शिशु की हड्डियों और मस्तिष्क पर असर पड़ सकता है।

  2. अनावश्यक चिंता: कभी-कभी अल्ट्रासाउंड के परिणाम मां को अनावश्यक चिंता में डाल सकते हैं, जिससे वह तनावग्रस्त हो सकती हैं।

अल्ट्रासाउंड से संबंधित सावधानियां Precautions related to ultrasound

  1. अल्ट्रासाउंड का सही समय: डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही अल्ट्रासाउंड करवाएं।

  2. अनुभवी चिकित्सक का चयन: अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए हमेशा अनुभवी और योग्य चिकित्सक का चयन करें।

  3. अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता: केवल आवश्यक होने पर ही अल्ट्रासाउंड करवाएं।

निष्कर्ष

गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड का महत्वपूर्ण होना तो है, लेकिन इसे सही समय और सही तरीके से करवाना भी अत्यंत आवश्यक है। अल्ट्रासाउंड द्वारा शिशु के विकास और स्थिति की जानकारी मिलती है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अगर आपके पीरियड्स अनियमित हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना जरूरी है।

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